إق إحساس
क्यों में खोई खोई सी रहती हु ..
क्यों में खोई खोई सी रहती हु ..
हर दिन और हर रात में
तेरे दिल में रहती हु और हर जज़्बात में
यू तो तू है दूर बहुत
मेरे नजरो से कोशिश से
पर है दिल के पास इतना
और है मेरे ख़ामोशी में
कब हो जाएँगे यू फासले फनाह
यू तेरे मेरे दर्मिया
हो जाएगी एक सुन्हेरे सुबह
और मिट जाएंगी दूरियाँ
में सजदा करू हर मंदिर गुरूद्वारे में ...
मंगू तुजे हर एक अज़ान में हर एक गुज़ारिश में ..
चाहू तुझ को इसकदर की न हो पाए कोई कमी..
होगा वो खुशनुमा समां जहा होगी तेरी मेरी बंध्गी
तुज में खोई रहती हु
हर दिन में रात में
तुझ को याद करती हु हर एक जज़्बात में..
ساماربيت أس أجنبي كه جو اجا مر زيندجي م أور ساب بدل جيجا
No comments:
Post a Comment